जो है, वही आरंभ है!
- STORYDESK
- May 26
- 2 min read
रीना अग्रवाल की पुनर्खोज और संघर्ष की कहानी
(हम केवल माध्यम हैं — हौसले और संभावनाओं के बीच एक सेतु।ग्राम पुकार और उद्यम अकादमी उन कहानियों को सामने ला रहे हैं जो हमें सिर्फ प्रेरित नहीं करतीं, बल्कि हमें यह भी सिखाती हैं कि भीतर की शक्ति को पहचान कर कैसे एक नई राह बनाई जा सकती है।)
हरदा की क्रोशिया कारीगर – रीना अग्रवाल की कहानी
करीब दस महीने पहले, रीना अग्रवाल की दुनिया एक झटके में बदल गई। पति के असमय निधन ने उन्हें अकेला छोड़ दिया — एक बेटी और बेटे की माँ के रूप में उनका जीवन अनिश्चित और धुंधला हो चला था।
लेकिन इस अंधेरे में भी, उनके भीतर एक भूली हुई शक्ति थी — क्रोशिया की कला।यह हुनर उन्होंने विवाह से पहले सीखा था, एक शौक के रूप में। कभी कल्पना नहीं की थी कि यही कला जीवन की डोर थामेगी।
जब ग्राम पुकार की टीम रीना से मिली, तब उन्हें सहायता नहीं, दिशा की आवश्यकता थी। मात्र 15 मिनट की एक गहन बातचीत, कुछ अर्थपूर्ण प्रश्न — और एक जागरूकता का क्षण आया। उन्होंने महसूस किया कि उनके पास जो कुछ है, वही उनका नया आरंभ बन सकता है।
मीना पटेल, ग्राम पुकार की सह-संस्थापक और प्रोडक्ट डेवलपमेंट डायरेक्टर के मार्गदर्शन में रीना ने दोबारा इस कला को अपनाया — लेकिन अब एक स्पष्ट उद्देश्य के साथ: अपने व्यवसाय के रूप में।
आज रीना हमारी 90-दिवसीय “अपना बिज़नेस, अपनी पहचान” उद्यमिता कार्यक्रम की सक्रिय प्रतिभागी हैं।उनकी आँखों में अब संकोच नहीं, संकल्प है। उनकी आवाज़ में अब हिचक नहीं, हिम्मत है। और उनकी पहचान अब केवल ‘संकट में एक माँ’ नहीं, बल्कि ‘अपने भविष्य की निर्माता’ है।
हम ग्राम पुकार में सिर्फ व्यवसाय नहीं बनाते—हम जीवन की पहचान गढ़ते हैं।
रीना की कहानी एक उद्यमी की नहीं, बल्कि एक माँ, एक महिला और एक योद्धा की है—जो शोक से संकल्प तक का सफर तय कर रही हैं। आज वे कई औरों के लिए आशा की मशाल हैं।
(📣 क्या आपके भीतर भी कोई कला, कोई सपना, कोई बिज़नेस आइडिया पल रहा है?
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