खेत की मिट्टी में स्वावलंबन का बीज
- STORYDESK
- May 30
- 3 min read

अपनी ज़मीन, अपनी पहचान: अश्विनी की जैविक यात्रा
मध्यप्रदेश के हरदा जिले के सौंताडा गाँव की पाँच एकड़ भूमि पर प्राकृतिक और विषमुक्त खेती केवल उत्पादकता नहीं, बल्कि आशा, रोजगार और नेतृत्व की नई लहर लेकर आई है। यहाँ खेती का उद्देश्य सिर्फ उपज नहीं, बल्कि गाँव की महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार, आत्मनिर्भरता और सामाजिक बदलाव का माध्यम बन चुका है। और इस बदलाव की नायिका हैं अश्विनी सुधीर गद्रे। आइये सुनते हैं उनकी कहानी उनकी जुबानी...
मैं अश्विनी सुधीर गद्रे, मध्य प्रदेश के हरदा जिले के सौंताडा ग्राम की रहने वाली एक किसान, एक मार्गदर्शक, और अब एक स्थानीय उद्यमिता की राह पर हूं। पिछले 6–7 वर्षों से मैं अपने पाँच एकड़ खेत में प्राकृतिक और विषमुक्त खेती कर रही हूं — केवल खेती नहीं, बल्कि गाँव में नए भविष्य की बुआई कर रही हूं।
मेरे खेत से हल्दी, चना, धनिया, मूंग और आम-जाम जैसे ज़हर मुक्त उत्पादों की खुशबू अब 100 से अधिक परिवारों तक पहुँचती है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य मिला, बल्कि गाँव के 10–12 लोगों को सम्मानजनक रोजगार भी। इनमें से कई महिलाएँ हैं, जो आज केवल सहायक नहीं, बल्कि स्वावलंबन की पहचान बन रही हैं।

🕯️ शक्ति तब जगती है, जब अंधकार गहराता है
करीब 12 साल पहले, पति के असामयिक निधन ने मेरी दुनिया हिला दी। लेकिन मैंने उस दुःख को अपने अंदर दबाने के बजाय, उसे अपने जीवन का उद्देश्य बना दिया। खेतों की मिट्टी को मैंने अपना सहारा बनाया — और धीरे-धीरे वह मिट्टी ही मेरी आत्म-निर्भरता की नींव बन गई।
किसी प्रशिक्षण के बिना, मैंने स्वयं सीखा, गिरी, उठी और फिर बढ़ती गई। जब मैंने देखा कि खेतों में रसायनों का ज़हर फैल रहा है, तब मैंने जैविक खेती का रास्ता चुना — एक कठिन, लेकिन नैतिक और सतत मार्ग।
🌿 ज्ञान, असफलता और नारी नेतृत्व
शुरुआती समय में कई असफलताएँ मिलीं। लेकिन हर असफलता ने मुझे और मजबूत बनाया। मैंने जैविक खेती के विशेषज्ञों से सीखा, प्रयोग किए, और हर दिन एक नई सीख को आत्मसात किया। यह यात्रा केवल व्यक्तिगत नहीं रही — यह एक समूहगत परिवर्तन की कहानी बन गई।
आज गाँव की महिलाएँ सिर्फ श्रमिक नहीं, बल्कि मेरी सह-निर्मात्री हैं। वे उत्पाद बनाती हैं, पैक करती हैं, ब्रांड का हिस्सा बनती हैं, और आज आत्मविश्वास के साथ अपने निर्णय स्वयं लेती हैं।

🏡 फार्म स्टे — जहाँ शहर खेतों से मिलने आता है
हमने अपने खेत में फार्म स्टे की शुरुआत की — ताकि शहर के लोग ग्रामीण जीवन का अनुभव कर सकें। यहाँ लोग मिट्टी, शुद्ध हवा और प्राकृतिक जीवनशैली से जुड़ते हैं। इस पहल ने हमें ग्रामीण पर्यटन और संवेदनशील समाज के निर्माण की दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ाया।
🛍️ ब्रांड — महिलाओं की पहचान और गाँव की गरिमा : आज हमारे जैविक उत्पाद हमारे अपने ब्रांड के अंतर्गत बेचे जाते हैं। यह केवल एक लेबल नहीं, बल्कि गाँव की नारी शक्ति का प्रतीक है। यह ब्रांड एक मिशन है — महिलाओं को रोज़गार, सम्मान और पहचान दिलाने का।
🎓 अब ‘उद्यमी बनो’ के साथ — अगले स्तर की तैयारी
अब मैं "उद्यमी बनो: अपना बिज़नेस, अपनी पहचान" कार्यक्रम से जुड़ी हूं। इस 90-दिवसीय यात्रा ने मुझे व्यवसाय प्रबंधन, ब्रांडिंग, वितरण, वित्तीय रणनीति जैसी नई दृष्टियों से परिचित कराया है।
इस कार्यक्रम के ज़रिए मैं अब अपने प्रयास को सिर्फ एक फार्म तक सीमित नहीं रखना चाहती — मैं चाहती हूँ कि हर गाँव की महिला अपने खेत, अपने हाथ और अपने विचारों से नेतृत्व करें।
🎓 उद्यमिता प्रशिक्षण — जब गाँव की सोच को मिलता है दिशा और रणनीति
“उद्यमी बनो” कार्यक्रम के साथ सामूहिक नेतृत्व की ओर कदम
“उद्यमी बनो: अपना बिज़नेस, अपनी पहचान” कार्यक्रम के ज़रिए खेती अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि प्रबंधन, नवाचार और बाज़ार रणनीति का हिस्सा बन रही है। यह 90-दिनों की यात्रा अब ग्राम स्तर पर स्थायी आर्थिक मॉडल और नेतृत्व विकास की संभावनाओं को जन्म दे रही है।

🌟 एक नहीं, अनेक अश्विनी की ज़रूरत है
महिला नेतृत्व से ग्राम पुनरुत्थान तक : यह प्रयास किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हज़ारों महिलाओं की यात्रा का मार्गदर्शन बन सकता है। यह दिखाता है कि यदि सही अवसर, संसाधन और प्रशिक्षण मिले — तो गाँव की महिलाएँ भी रोज़गार की सर्जक, समाधान की वाहक और नेतृत्व की मिसाल बन सकती हैं।
🤝 आइए — इस परिवर्तनकारी यात्रा में सहभागी बनें
उत्पाद खरीदकर, अनुभव साझा कर, या केवल समर्थन देकर : यदि आप इस यात्रा से किसी भी रूप में जुड़ना चाहें — फार्म विज़िट, जैविक उत्पाद, प्रशिक्षण, ब्रांडिंग सहयोग या नारी शक्ति को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से — तो हम आपका स्वागत करते हैं।
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